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Migrating/Covid-19 – II

By Gulzar

28th May 2020

कुछ ऐसे कारवां देखे हैं सैंतालिस में भी मैने
ये गांव भाग रहे हैं अपने वतन में
हम अपने गांव से भागे थे, जब निकले थे वतन को

हमें शरणार्थी कह के वतन ने रख लिया था
शरण दी थी
इन्हें इनकी रियासत की हदों पे रोक देते हैं
शरण देने में ख़तरा है

हमारे आगे पीछे, तब भी एक क़ातिल अजल थी
वो मजहब पूछती थी
हमारे आगे पीछे, अब भी एक क़ातिल अजल है
ना मजहब, नाम, जात, कुछ पूछती है
— मार देती है

ख़ुदा जाने. ये बटवारा बड़ा है
या वो बटवारा बड़ा था –

 

Gulzar – Migrating/Covid-19 – II